Welcome To "Prannath Sikshaveer U.M. Vidhayala"

About Prannath Sikshaveer U.M. Vidhayala

प्राणनाथ शिक्षावीर  उ मा विद्यालय विद्यालय का शिलान्यास 11 नवंबर 2012 को पूज्य पाद श्री राजन स्वामी जी संरक्षक प्राणनाथ ज्ञानपीठ सरसावा के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। श्री राजन स्वामी जी की प्रेरणा एवं धाम धनि श्री असरातित की के आशीर्वाद से श्री जबर सिंह चौहान पुत्र श्री कपूर सिंह निवासी ग्राम टावर नाकुर सहारनपुर एवं श्री कुशल पाल चौहान पुत्र श्री जगराम सिंह के स्वर्गीय पिता गण, परमात्मा में संपूर्ण आस्था रखने वाले एक सफल एवं संत स्वभाव के ओजस्वी मानव थे। तथा शिक्षा के प्रति उनका विशेष लगाव था तथा वे दोनो चाहते थे की समस्त प्राणी मात्र स्वस्थ एवं प्रफुल्लित प्रसन्न रहें । देव इच्छा से कुशल पाल चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती शिक्षा देवी एक नेक एवं सरल स्वभाव की महिला थी जिनका कुछ अरसे पहले स्वर्गवास हो चुका है। वह भी शिक्षा के प्रति विशेष रुचि रखती हैं। तथा इसके साथ ही श्री जबर सिंह चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती वीरवाला जी है वह भी शिक्षा के प्रति विशेष लगाव व रुचि रखती हैं जो वर्तमान में है । वह भी सर्वजन कल्याणकारी  कार्यों को करने में तथा शिक्षा के प्रति अपनी विशेष अभिरुचि रखते हैं ।मानव समाज के कल्याणार्थ  शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाना चाहते हैं । इनकी भी रुचि कुछ जन कल्याणकारी कार्यों को करने  के लिए एवं अपने समस्त समाज को शिक्षित बनाने के लिए तथा अपने समाज को हर प्रकार से स्वस्थ बनाने के लिए हिलोरे ले रही है। इस दिशा में श्री कुशल पाल चौहान एवं श्री जबर सिंह चौहान जी ने अपने अपने स्वर्गीय पिताजी की स्मृति में तथा अपनी अपनी धर्मपत्नी की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए एक धर्मात विद्यालय का सृजन करने का संकल्प लिया।विद्यालय को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2016 को कक्षा 6 से 10 तक की मान्यता प्राप्त हुई।

विद्यालय की मान्यता के उपरांत क्षेत्र में शिक्षा की एक लहर दौड़ गई क्षेत्र की लड़कियां जो किन्हीं कारणवश उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती थी। उन्होंने विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर अपना जीवन सफल बनाया मान्यता के उपरांत विद्यालय निरंतर विकास विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है ।विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र सरकारी एवं गैर सरकारी नौकरियों में देश की सेवा करने का संकल्प लेकर निरंतर नई-नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

 विद्यालय का उद्देश्य हर प्रकार के शिक्षण संस्थानों महाविद्यालय एवं छात्रावास  आदि की स्थापना करना है एवं उन्हें जनहित में संचालित करना है तथा शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए हर संभव प्रयास करना है।